मुंगेर का चुनावी संघर्ष
मुंगेर लोकसभा का चुनावी संघर्ष आरजेडी की उम्मीदवार कुमारी अनिता और जेडीयू के राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के बीच में है। शुरुआत में तो जेडीयू उम्मीदवार ललन सिंह काफी राहत महसूस कर रहे थे। पर जैसे-जैसे बाहुबली अशोक महतो ने अपनी जेल की जिंदगी को भूमिहार के अन्याय के विरोध का कारण बताया वैसे-वैसे पिछड़ों की गोलबंदी आकार लेने लगी। धीरे-धीरे तो माहौल ऐसा बन गया कि 2024 का लोकसभा चुनाव भले राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह लड़ रहे हैं, पर लिटमस टेस्ट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी का होना है। मुंगेर गोलबंदी की बात करें तो आरजेडी के MY समीकरण के साथ कुर्मी और धानुक की गोलबंदी के सूत्रधार बने बाहुबली अशोक महतो ने एनडीए के समीकरण को बिगाड़ दिया है। एनडीए के पक्ष में सवर्ण, पासवान के साथ कुर्मी, कुशवाहा और धानुक का पक्ष मजबूती दे रहा था। पर अशोकमहतो ने अपने बलिदानी चेहरा को आगे कर एक हद तक पिछड़ों की गोलबंदी करने में कामयाब हुए। खासकर कुर्मी धानुक को आरजेडी के रथ पर सवार कर गए।
ललन सिंह के अंगने में अनंत सिंह का काम?
दरअसल, जेडीयू के रणनीतिकार कुर्मी और धानुक के वोट को आरजेडी की तरफ शिफ्ट होते देख इसकी भरपाई यादव मत में सेंधमारी कर करना चाह रहे हैं। अनंत सिंह की स्थिति यह है कि मोकामा के धरातल पर कुर्मी और यादव दो पलड़े पर रहते हैं। कहा जाता है कि कुर्मी खेती करने वाले और यादव उखाड़ने वाले। इसको लेकर अक्सर लड़ाई कुर्मी धानुक और यादव में होती रहती है। इस लड़ाई में अनंत सिंह यादव के साथ खड़े रहते हैं।
याद कीजिए मोकामा विधान सभा का उपचुनाव। तब आरजेडी से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी खड़ी थी और बीजेपी से बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी। इस उपचुनाव में कुर्मी धानुक का वोट एकतरफा अनंत सिंह की तरफ नहीं पड़ा। जबकि उस वक्त महागठबंधन की सरकार में बतौर सीएम नीतीश कुमार ने भी नीलम देवी के पक्ष में मतदान करने को कहा। परंतु कई जगहों पर कुर्मी और धानुक ने बीजेपी को वोट किया, क्योंकि यादव अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को वोट दे रहे थे। यानी यादव के विरुद्ध कुर्मी और धानुक के विरुद्ध यादव वोट करते दिखे। इसी समीकरण के तहत जेडीयू यादव के वोट में सेंधमारी वाया अनंत सिंह करना चाहती है। अब देखना होगा कि यादव स्थानीय मुद्दे पर कुर्मी और धानुक के विरोध में वोट करते हैं या फिर लालू यादव और तेजस्वी यादव के आह्वाहन पर।
अनंत सिंह आक्रामक वोटिंग का सूत्रधार
अनंत सिंह के आने से सवर्ण मत खासकर भूमिहार में राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के व्यवहार के कारण जो उदासीनता है उससे थोड़ी सक्रियता आयेगी। जिससे सवर्ण मत की वोटिंग टेंडेंसी में तेजी आयेगी। एक आंकलन के अनुसार भूमिहार के ही तीन लाख वोट हैं, जिसकी आक्रामकता जेडीयू के ग्राफ को उठा सकती है।
अशोक महतो और अनंत सिंह की बूथ लेवल पर मजबूती
बाहुबली अशोक महतो के सक्रिय होने से मुंगेर लोकसभा के कुर्मी धानुक और अन्य पिछड़ी जातियों में जो आक्रामक तैयारी दिख रही है। बूथ स्तर पर उस आक्रामक तेवर का जवाब अनंत सिंह की टीम कर सकती है। खास कर टाल क्षेत्र के उस 52 गांव जहां धानुक की भारी आबादी है। मुंगेर की इस लड़ाई को देखें तो गौर करने वाली बात यह है कि यहां दोनों कुर्मी बाहुबली और भूमिहार बाहुबली के बीच मुकाबला है। अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह आरजेडी में रहते हुए ना केवल विधायक बने बल्कि राबड़ी देवी क सरकार में मंत्री भी रहे। नीतीश कुमार से रिश्ते खराब होने के बाद अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी आरजेडी के टिकट पर विधायक बनी, हालांकि वह अभी पाला बदल चुकी हैं। लालू यादव अनंत सिंह को कई बार रैलियों में रंगदार कहकर संबोधित कर चुके हैं।
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